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साइको साइबरनेटिक्स : मैक्सवेल मॉल्टज द्वारा हिंदी ऑडियो बुक | Psycho Cybernetics : by Maxwell Maltz Hindi Audiobook

साइको साइबरनेटिक्स : मैक्सवेल मॉल्टज द्वारा हिंदी ऑडियो बुक | Psycho Cybernetics : by Maxwell Maltz Hindi Audiobook
पुस्तक का विवरण / Book Details
AudioBook Name साइको साइबरनेटिक्स / Psycho Cybernetics
Author
Category, ,
Language
Duration 37:08 mins
Source Youtube

Psycho Cybernetics Hindi Audiobook का संक्षिप्त विवरण : डॉ. मैक्सबेल मॉल्ट्ज़ का देहांत 1975 में ही हो गया था, लेकिन वे 2001 में लिखी इस पुस्तक के मूल लेखक हैं। इसमें उनका योगदान बहुत सक्रिय और जीवंत है। उन्होंने मूल साइकों साइबरनेटिक्स लिखी थी, जिस पर यह नया संस्करण आधारित है। इसके अलावा, उन्होंने व्यापक शोध और लेखन कार्य किया। अपनी मृत्यु तक वे एक दर्जन से अधिक पुस्तकें लिख चुके थे और साइको साइबलेटिक्स के विमिन पहलुओं पर अध्ययन के तौन पूर्ण पाठ्यक्रम तैयार कर चुके थे। उनकी मृत्यु के समय उतके पास परामश् सत्र के नोटस, साक्षात्कारं, भाषणों, रेडियो प्रसाएणों आदि के ह॒ज़ाएों अप्रकाशित पने रखे थे। यह साध सामग्री एक कंप्यूट में सुरक्षित थी, जिसे सावधानी से व्यवस्थित किया गया था, ताकि डॉ. मॉल्ट्ज़ आज भी नई पुस्तकों में योगदान दे सकें। हालाँकि इस पुस्तक में श्री कैलेडी का योगदान भी है जो दुविधा और ‘शोर-शराबे से बचने के लिए है, लेकिन इस पुस्तक की हर बात एक ही व्यक्ति की आवाज़ में हैं – डॉ. मॉल्टज़ की। इसे पढ़कर ऐसा लगता है, मानो डॉ. मॉल्ट्ज़ ने इसे आज ही लिखा हो, शुरू से आख़िर तक। हमें यक़ीन है कि यदि डॉ. मॉल्टज़ जीवित होते, तो उन्हें इस पुस्तक पर गर्व होता और आपको भी इससे अत्यधिक लाभ होगा।

कई मायनों में, साइको साइबसलेटिक्स ही आत्म-सुधार का मूल विज्ञान है। मैं यह बात तीन ख़ास कारणों से कहता हूँ ‘पहला कारण, डॉ. मॉल्ट्ज़ ही वे पहले शोधकर्ता और लेखक थे, जिर्होंने इस बात को समझा और समझाया कि आत्मछवि (अवचेतन मन के भीतर की निश्चित प्रक्रियाओं के लिए उन्होंने इस शब्द का इस्तेमाल किया तथा इसे लोकप्रिय किया) इंसान के किसी लक्ष्य को पाने या न पाने की योग्यता पर कैसे पूरा नियंत्रण रखती है। दूसरा कारण, इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद से आत्म-सुधार के बारे में लिखी, कही, ‘रिकॉर्ड की हुई या सिखाई गई हर चीज़ पर इस पुस्तक का प्रभाव पढ़ा है। 1960 के बाद से आज तक लिखी गई सफलता या आत्मसुधार की कोई भी पुस्तक उठाकर देख लें। हर पुस्तक में आपको आत्म-छवि का तजिक्र मिलेगा या इसे बेहतर बताने या इसका प्रबंधन करने की तकनीकें शामिल होंगी – ख़ास तौर पर मानसिक तस्वीर बनाना, मानसिक अभ्यास और विश्राम। इससे आपको एहसास हो जाएगा कि मॉल्टज़ की पुस्तक आज भी कितनी महत्वपूर्ण है। खेल मनोविज्ञान का “विज्ञान” तुलनात्मक रुप से नया है, जिस पर पेशेवर गोल्फ़ खिलाड़ी, खेल फ्रैंचाइज़ी, कोच और ओलिंपियंस बहुत विश्वास करते हैं। खेल मनोविज्ञान दरअसल साइको साइबलेटिक्स का बहुत ऋणी है और कमी-कमार इसे स्वीकार भी किया जाता है।
तीसरा कारण, साइको साइबसलेटिक्स सफलता के बारे में कोर दार्शनिक चिंतन नहीं है। दरअसल यह वैज्ञानिक है : यह कले के लिए (सिर्फ सोचने के लिए ही नहीं) व्यावहारिक ‘तकनीकें सुझाता है, जिनसे मापे जा सकने वाले परिणाम मिलते हैं। साइको साइबसेटिक्स के बारे में अनूठी बात यह है कि इसकी तकनीकें मुश्किल कार्य को आसान बना देती हैं। संक्षेप में, चाहे आप वज़न कम कला या कम ही रखना चाहते हों, अपने गोल्फ़ के स्कोर को बेहतर बनाना चाहते हों, बिक्री में अपनी आमदनी दोगुनी करा चाहते हों, आत्मविश्वास से भरे सार्वजनिक वक्ता बनना चाहते हों, महान उपन्यास लिखना चाहते हों या कोई भी अन्य लक्ष्य हासिल कला चाहते हों, सफल होने के लिए आपको साइको साइबललेटिक्स तकनीकों का इस्तेमाल कला होगा, या तो सीधे डॉ. मॉल्टज़ की पुस्तकों से या उनके कार्य द्वार प्रभावित किसी अन्य स्त्रोत से। अगर आप इस पुस्तक को पढ़ते हैं, तो यह जान लें कि आप प्रथम और अब भी अग्रणी स्त्रोत से यह ज्ञान हासिल कर रहे हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि मूल साइको साइबरनेटिक्स पुस्तक का बहुत कम प्रचार या मार्केटिंग हुई, लेकिन इसके बावजूद यह इतनी लंबी अवधि तक सफल हुई और अपने क्षेत्र में क्लासिक पुस्तक का दर्जा हासिल कर चुकी है। दस, बीस या तौस साल पहले की तरह ही आज मी सेल्स मैनेजर नए सदस्यों से, कोच खिलाड़ियों से और परामर्शदाता क्लाएंट्स से कहते है जाकर यह पुस्तक पढ़ो।

“यदि उदासी न हो तो खुशी का कोई महत्त्व नहीं है।” – कार्ल जंग
“The word happiness would lose its meaning if it were not balanced by sadness.” – Carl Jung

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