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काजर की कोठरी : देवकीनंदन खत्री द्वारा हिंदी ऑडियो बुक | Kajar Ki Kothari : by Devkinandan Khatri Hindi Audiobook

काजर की कोठरी : देवकीनंदन खत्री द्वारा हिंदी ऑडियो बुक | Kajar Ki Kothari : by Devkinandan Khatri Hindi Audiobook
पुस्तक का विवरण / Book Details
AudioBook Name काजर की कोठरी / Kajar Ki Kothari
Author
Category
Language
Duration 2:39 hrs
Source Youtube
Kajar Ki Kothari Hindi Audiobook का संक्षिप्त विवरण : बाबू देवकीनन्दन खत्री ने जब उपन्यास लिखना शुरू किया था उस जमाने में अधिकतर लोग भी उर्दू भाषा भाषी ही थे। ऐसी परिस्थिति में खत्री जी का मुख्य लक्ष्य था ऐसी रचना करना जिससे देवनागरी हिन्दी का प्रचार-प्रसार हो। यह उतना आसान कार्य नहीं था। परन्तु उन्होंने ऐसा कर दिखाया। चन्द्रकान्ता उपन्यास इतना लोकप्रिय हुआ कि जो लोग हिन्दी लिखना-पढ़ना नहीं जानते थे या उर्दूदाँ थे, उन्होंने केवल इस उपन्यास को पढ़ने के लिए हिन्दी सीखी। इसी लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इसी कथा को आगे बढ़ाते हुए दूसरा उपन्यास “चन्द्रकान्ता सन्तति” लिखा जो “चन्द्रकान्ता” की अपेक्षा कई गुणा रोचक था। इन उपन्यासों को पढ़ते वक्त लोग खाना-पीना भी भूल जाते थे। इन उपन्यासों की भाषा इतनी सरल है कि इन्हें पाँचवीं कक्षा के छात्र भी पढ़ लेते हैं। पहले दो उपन्यासों के २००० पृष्ठ से अधिक होने पर भी एक भी क्षण ऐसा नहीं आता जहाँ पाठक ऊब जाए।

चन्द्रकांता’ और ‘चंद्रकांता संतति’–जैसी कालजयी उपन्यासमाला के महान लेखक बाबू देवकीनंदन खत्री का एक और महत्त्वपूर्ण उपन्यास है। दूसरे शब्दों में, एक बड़े जमींदार लालसिंह की अकूत दौलत को हड़पने की साजिश और साथ ही उसे निष्फल करने के प्रयासों की अत्यन्त दिलचस्प दास्तान। लालसिंह ने अपनी तमाम दौलत को एक सशर्त वसीयतनामे के द्वारा अपनी इकलौती बेटी सरला के नाम कर दिया है। यही कारण है कि शादी के ऐन वक्‍त लालसिंह के दुष्ट भतीजे सरला को ही उड़ा ले जाते हैं और उसे कैद कर लेते हैं। साथ ही वे सरला के मंगेतर हरनंदन बाबू के चरित्र-.हनन की भी कोशिश में लग जाते हैं, और इनकी उन तमाम साजिशों में शरीक है बांदी नामक एक अदूभुत वेश्या। लेकिन उसका मुकाबला करती है एक और ‘वेश्या’ सुलतानी। वास्तव में यह समूचा घटनाक्रम अनेक विचित्रताओं से भरा होकर भी अत्यन्त वास्तविक है, जिसके पीछे लेखक की एक सुसंगत तार्किक दृष्टि है। इस रचना के माध्यम से जहाँ उसने धनपतियों के बीच वेश्याओं की कूटनीतिक भूमिका को दर्शाया है, वहीं पूँजी के बुनियादी चरित्र–उसकी मानवता-विरोधी भूमिका–को भी उजागर किया है।

“हर सुबह मैं पंद्रह मिनट अपने मस्तिष्क में प्रभु की भावनाओं को समाहित करता हूं; और इस प्रकार से चिंता के लिए इसमें कोई स्थान रिक्त नहीं रहता है।” ‐ हॉवर्ड शैंडलर क्रिस्टी
“Every morning I spend fifteen minutes filling my mind full of God; and so there’s no room left for worry thoughts.” ‐ Howard Chandler Christy

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