भीगी भागी सी वह छलायन : प्रियदर्शिनी त्रिपाठी द्वारा हिंदी ऑडियो बुक | Bheegi Bhagi Si Vah Chhalayan : by Priyadarshini Tripathi Hindi Audiobook
पुस्तक का विवरण / Book Details | |
AudioBook Name | भीगी भागी सी वह छलायन / Bheegi Bhagi Si Vah Chhalayan |
Author | Priyadarshini Tripathi |
Category | हिंदी ऑडियोबुक्स / Hindi Audiobooks, हॉरर / Horror |
Language | हिंदी / Hindi |
Duration | 7:48 mins |
Source | Youtube |
Bheegi Bhagi Si Vah Chhalayan Hindi Audiobook का संक्षिप्त विवरण : ये कहानी प्रियदर्शिनी त्रिपाठी द्वारा लिखी गई है | बारिश की रात और एक अनजान महिला की एक छोटी डरावनी कहानी है। कहानी का सारांश इतना सा है कि दो दोस्त जो एक सुनसान रास्ते से रात के समय गुजरते है हमेशा की तरह। लेकिन एक रात बारिश के दौरान एक डरावनी छलयान खूबसूरत रूप बदलकर एक दोस्त को संमोहित कर लेती है, दूसरे व्यक्ति के द्वारा अपने दोस्त को उस छलयान की सच्चाई बताने पर वह छलयान एक अपने डरावने रूप में आ जाती है और दोनों को मौत के घात उतारने के लिए हमला करती है |
रात के 9 बजे होंगे, विनय अपनी दुकान बंद कर घर जाने के लिए निकल रहा था कि तेज़ तूफान आने का अहसास हुआ। हवाओं में सूखे पत्ते उड़ – उड़कर रास्ते के वीराने को साथ देते से लगते थे। मिट्टी की सौंधी महक आने लगी थी जो आसपास कहीं बारिश के होने का संदेशा दे रही थी। विनय का नौकर राजू पास के ही गांव से शहर आता था, वैसे तो विनय की दुकान शहर के अंतिम कोने पर थी । राजू का गांव शहर से मात्र पांच किलोमीटर ही दूर था वह अपनी साइकिल पर सवार होकर आया – जाया करता था। आज जैसे ही उसने साईकिल उठाई तो देखा अरे ! यह तो पंक्चर है। इतने में विनय ने दुकान को लॉक कर दिया था, वह राजू के पास आकर बोला ,” राजू घर नहीं जाना क्या तुझे? ” राजू बोला , ” विनय भैया हमारी साईकिल तो पंचर है, अब इतनी तूफानी रात में कोई ठीक करने वाली दुकान भी नहीं खुली हुई होगी। ” विनय हंसकर बोला, ” अरे तो तू चिंता क्यों करता है, तेरे भैया किस दिन के लिए मोटरसाइकिल खरीदे हुए हैं। राज बोला, ” अरे गैया , आप रहन दो, हमारी वजह से क्यों तकलीफ लेनी, और फिर आप को पता नहीं गांव का रास्ता कितना खतरनाक है। ”
विनय राजू को छेड़ते हुए बोला, ” हां – हां बेटा तू अकेले ही उस रास्ते के खतरों और खतरे वाली को देखना चाहता है। राजू हैरान – सा विनय को बोला, ” भैया आप शहर के लोगों को समझाना कितना मुश्किल है, यह बात बिल्कुल सच है कि इस रास्ते पर छलायन का वास है। वह जवान लड़कों का खून पीकर जिंदा रहती है और जवान भी। “छलायन छल से खूबसूरत स्त्री बनकर जवान आदमियों को अपने मोहजाल में फांस लेती है विनय भैया । “ उसके आगे कोई जिंदा नहीं बच सकता है। विनय ने राजू के आगे मोटरसाइकिल खड़ी कर बैठने का इशारा किया। ” आज उस हसीना को तो मैं देखकर ही रहूंगा” और खिलखिलाकर हंस पड़ा था विनय। जैसे ही मोटरसाइकिल शुरू की, बारिश की बूदें भी गिरने लगीं। पांच मिनट में बारिश ने घनघोर मूसलाधार रूप ले लिया था। विनय और राजू शहर के कुछ बाहर निकल आए थे। राजू बुदबुदाने लगा, ” विनय भैया फटाफट 80 – 100 की स्पीड पे ले लो ” । विनय को बारिश के तेज़ थपेड़ों के कारण रोड बहुत कम – कम दिख रहा था। और रोड भी बारिश में फिसलनदार हो गया था। विनय बोला , ” राजू बारिश बहुत तेज़ है ,हमें यहीं किसी पेड़ या छांव के नीचे रुकना होगा। ” राजू मना करने लगा, ” विनय भैया , बिल्कुल नहीं रोकनी है आपको यहां, चलते जाइए भगवान के लिए। ” विनय एकाध मिनट बमुश्किल गाड़ी चला पाया कि उसे रोड दिखना बिल्कुल कम हो गया था और बारिश अपने चरमोत्कर्ष पर थी। विनय ने ढाई किलोमीटर चलने के बाद एकाएक गाड़ी रोक दी और सामने एक कत्तल पोश ढंकी छायादार जगह देखकर बोला, ” उतर राजू यहीं रुकना पड़ेगा अब हमको, मुझसे ऐसी तेज़ बरसात में ड्राइविंग नहीं होगी। ” कहीं मर मरा जाएंगे दोनों एक्सिडेंट में राजू बहुत दबाव में नीचे उतरा, बेचारा इतना सहम गया था कि हनुमान चालीसा का पाठ करने लगा । विनय और वह दोनों उस टपरी में खड़े हुए। इतनी तेज़ बारिश में रात के करीब पौने दस का समय था कि कहीं से घुंधघरओं की छनक हुई। राजू की हालत पतली हो गई कि हो ना हो यह तो छलायन की ही आवाज़ है। विनय ने भी वह आवाज़ सुनी थी पर विनय बहादुर था और उसे इन भूत – प्रेत में विश्वास भी नहीं था। तभी एक लाल रंग के सलवार कमीज़ पहनी हुई युवती उस भरी बरसात में रोड़ पर चलकर आ रही थी। उसने एक छाता लगाया हुआ था जो बारिश की तेज़ी को संभालने में अक्षम था। जिससे वह भीगी हुई – सी भी हो गई थी। विनय और राजू की तरफ उसके बढ़ते कदमों से राजू घबरा उठा , और विनय छाते की ओट में छिपे उसके चेहरे को देखने को उत्सुक हो उठा।
“शरीर के मामले में जो स्थान साबुन का है, वही आत्मा के संदर्भ में आंसू का” ‐ यहूदी कहावत
“What soap is for the body, tears are for the soul.” ‐ Jewish Proverb
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